एक दिन की बात है मै अपने दोस्तों के साथ बैठा था । तभी वे ब्लॉग नाम की बात करने लगे , तब मैंने उनसे ब्लॉग के बारे में जाना और मेरे अंदर भी कुछ कर दिखाने की चाहत पैदा हुई । जब मै घर आया तो अचानक एक मशहूर कवि की कुछ लाइन याद आ गयी वह निम्न थी
एक दिन निकले सैर पर
दिल में कुछ अरमान थे
एक तरफ हरे जंगल एक तरफ श्य्म्शान थे
पैरों तले एक हड्डी आई
उसके भी कुछ बयाँ थे
चलने वाले जरा सम्भलकर चलो
हम भी कभी इंसान थे ।
इन पंक्तियो से मैं बहुत प्रभावित हुआ और ब्लॉग लिखने की शुरुआत कर दी ।