Sunday, May 24, 2009

जस्ट कम





सियासत में सेक्स का खेल खेलने वालों के लिए खुश खबरी है । पर सामाजिक काम करने वाली संस्थाओं के लिए दुःख भरी ख़बर है । अभी तक सियासत के लोग सेक्स का खेल खेलने पर बदनाम होते थे ,लेकिन अब इनका नाम भी होगा और मजा भी लूट सकते हैं । बस जरूरत है उन्हें नये ट्रेंड को अपनाने की । जी हाँ अब नया ट्रेंड आ गया है कौमार्य बेचने का । और शुरुआत हुई है कैलिफोर्निया की नताली से । पुरुषों की लाइन लग गयी है । तो जनाब आप क्यों पीछे हैं ? हवाई यात्रा कीजिये

वह भी सरकारी खर्चे पर और मजे लूटिये । अब आपको नताली जैसे लोगों को पूरी जिन्दगी का खर्चा उठाने की आवश्यकता नही है । बस सौदा है एक रात का । ध्यान रहे गर्लफ्रेंड बनाने की कोशिश मत कीजियेगा क्योंकि रेस्पोंस नेगेटिव होगा । ओनली वन नाईट ।


यह सामाजिक संस्थाओं के लिए दुखभरी है की वे इनको रोक नही पा रही हैं । इनकी छोटी सी कमजोरी है ---पढाई के पढने का खर्च उठाने के लिए ऐसा कर रही हैं । जो खर्च उठाएगा वह मजा भी पायेगा । लेकिन पढाई का पूरा खर्च जितना होगा उतना मनी और सिर्फ वन नाईट । अफसोस संस्था खर्च नही उठा पा रही है । ऐसे में हमारे देश का क्या होगा ? जो पश्चिमी सभ्यता को बडे तेजी से अपनाता है । खैर -----------------------


ट्रेलर शुरू हो गया है ,फिलम का इन्तजार रहेगा


आपके साथ मुझे भी ।

Monday, May 18, 2009

संभलकर जनता है ये

सत्ता की मलाई खाओगे तो अधिक दिनों तक नही चल पाओगे ----------------

यही हुआ १५वि लोकसभा के चुनाव में .कुछ दिग्गज हारे तो कुछ को प्रतिष्ठा बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी .लेकिन एक बात साफ है जिस तरह से जनता ने आपराधिक पृष्ठभूमि वालो को नकारा है इससे लगता है आने वाके समय में एक बार फिर राजनीति -राजनीति होगी ,न की राजनीति में राजनीति .युवा ही परिवर्तन कर सकता है और इस चुनाव ने काफी हद तक इसको स्पष्ट कर दिया है .यह साफ लगने लगा है की आने वाले समय में जो राजनीति होगी वह युवा राजनीति होगी और युवा ही परिवर्तन करेगे .जरूरत है उनकी सोच सकारात्मक हो .जब मतदाता तीन चौथाई युवा है तो युवा नेता भी होंगे आख़िर युवा ही युवा के बारे में सोचेंगे ।

जनता है !संभलकर नेता जी अच्छे -अच्छे को याद करा देती है ------------?

Friday, May 15, 2009

मामला दिल का

सच कह रहा है दीवाना दिल ,यूँ दिल ना किसी से लगाना ------------------------
दिल का मामला है भाई जरा संभलकर वरना दिक्कत हो जायेगी .मैं इस गाने को लिखने और गाने वाले का हजार बार शुक्रिया अदा करता हूँ .मेरे ख्याल से इसगाने को हर इमोशनल /शीघ्रता से विश्वास करने वाले शख्स को याद रखना चाहिए .रिश्ते दिल से बनते हैं और विश्वास पर चलते हैं .जिस दिन विश्वास का पथ टूट जाता है उस दिन रिश्ते चलने बंद कर देते हैं और दिल भी टूट जाता है .विश्वास हैतो सब कुछ है वरना कुछ भी नही ।
दिल टूटे ,विश्वास डगमगाए और इससे पहले की कोई विश्वासी /जिंदादिली छुट जाए सामने वाले को खूब परख लो .इतना परखो की उसकी हर नब्ज़ की जानकारी मालूम हो जाए .फिर वैसे ही चलो जैसा सामने वाला हो .अगर ऐसा नहीं किया तो फिर धोखा ही धोखा -------,अन्यथा इस गाने को याद रखना .बहुत कीमती गीत है यह जिन्दगी बदल देगा और मौज ही मौज करोगे .जो इस गीत को कुछ देर से सुनेगा /समझेगा तब तक यह देर बहुत कुछ ढेर kar degaa ..................
अपनी काली जुल्फों से वो मेरा दिल जलाती थी
मुझे देखकर वो अपनी काली जुल्फे लहराती है
जुल्फों के घने साए में जाने को दिल मचलता था
मचलते हुए दिल को मैं घनी जुल्फ देख बहलाता था
नितनये रंगों से वो इनको रोज खूब सजाती थी
मेरा दिल भी करता मैं इनके साए में जाऊं
अपनी दिली तमना को मैं असली जामा पहनाऊँ
दिल को बहुत समझाया पर दिल ने एक न मानी
मौका देख मैंने भी उससे प्यार जताने की ठानी
मेरी नियत देख जुल्फ की रानी मुस्कुराई
एक -एक करके उसने साड़ी बिगे दिखाई
बिग देखकर मैंने सोचा यह तो एक छलावा है
बिग पहनकर दिल चुराने की अजीब माया है ।


सपनों को साकार समझ बैठा
परछाई को आकार समझ बैठा
उसकी थी हंसने की आदत
मैं उसको प्यार समझ बैठा
फरेब थी उसकी हँसी में मैं आस्की समझ बैठा
मौत को ही अपनी जिन्दगी समझ बैठा
वक्त की गर्दिश थी या मेरी बदनसीबी
अपने साए को ही मैं चांदनी समझ बैठा
वह कदम -कदम पर गम देते गये मुझे
दिले नादाँ इसे दिललगी समझ बैठा
जिसकी आरजू थी वो ना मिला
सालो जिसका इन्तजार किया वो ना मिला
अजीब खेल है किस्मत का
किसी को हम ना मिले और कोई हमे ना मिला ।
राहों में कौन आ गया कुछ पता नही
उसको तलाश करते रहे जो मिला नही
दिलों से खेलने का हूनर हमें नही आता
इसलिए ख़्वाबों की बाज़ी हार गये हम
मेरी जिन्दगी से शायद बहुत प्यार था
इसलिए जिंदा मार गये
तुमको देखा जहाँ -जहाँ हमने
किए सजदे वहां -वहां हमने
तुम तो क्या खुदा से भी छुपाई है
अपनी चाहत का दासता हमने
कल की रात भी अजीब थी
चाँद गायब था
आसमान भी हैरान था
सितारों में भी हलचल हुई
कयामत का था
वो मंजर
जब उस नूर का दीदार हुआ
रोशन हुई हर शै उससे
हमने भी जमीन पर
चाँद का उतरना देखा
पर अफसोस वह चाँद हमारा न था ।



जिन्दगी के बियावान में
सूरज की तपिश से होकर परेशान
जब मैंने रेत को पानी समझा
तो कुछ सयानो ने कहा
अरे वो नादाँ !
रेत तो रेत है पानी नही
ठीक कहा उन्होंने
मगर जिसने कभी रेत को पानी समझने की
भूल ही न की
वो भला प्यास की शिददत को
क्या पहचानेगा
हाँ मैंने यह भूल की है
नादाँ भी हूँ मैं
पर यकीन करना इस बात का
की मेरी प्यास सच्ची थी ।
ऐसा न हो इसलिए दिल से नही दिमाग से काम लो --------टेक केयर ----फिर तो इस जिन्दगी के मजेही मजे लूटो .