Wednesday, November 11, 2009

वो लम्हे

आज लाखों हैं पास ,मगर एक कौड़ी की दरकार थी कभी
इन सिम्त पहाडों में धूल उड़ती है ,जिन पहाडों में नदी थी कभी
वक्त ने उसे औरत बना दिया ,मेरी नजरों में जो लड़की थी कभी

Saturday, November 7, 2009

हसीनों का दीवाना

बहुत समय के बाद हाजिर हुआ हूँ जनाब | लेकिन घबराइये नहीं आपके लिए लेकर आया हूँ रियलिटी शो हसीनों का दीवाना | जी हाँ राखी का स्वयम्बर , पति-पत्नी और ,सच का सामना के बाद ,आने वाला है ये शो | जी हाँ आने वाले समय में इसी तरह के शो देखने को मिलेंगे | चैनलों ने सच के सामना में सवालों से आपको रूबरू करा दिया है अब बारी है कुछ देखने की भी | देखिये हसीनाओं के साथ कैसे खेला जाता है | कौन सबसे अच्छा खेल सकता है क्योंकि सवाल इनाम का भी है तो खेलने वाले जरुर खेलेंगे | और हम आप जरुर देखेंगे |हाँ ये बात अलग है की अकेले में देखा जाए तो बात ही कुछ और हो |
क्यों अभी से मन में तरह -तरह के ख्याल आने शुरू हो गये |दिल थाम के बैठिये कहीं ऐसा हो की अकेले में तो देखना ही है साथ ही कमरा भी बंद करना पड़े | और शायद ये तब तक करना पड़े जब तक ये दुनिया है , महफिल है , हम है ,आप है और हमारे थियेटर महाराज चैनल जी हैं |सुचना मंत्रालय तो कुछ करेगा नही |वह तो इन्हीं को दिखाने या दिखाने का अधिकार दे रखा है | करे भी तो क्या करे ? उनको भी तो थियेटर में दिखना है |डर है कहीं दिखाने के चक्कर में हम दिखना बंद हो जाएँ | तो भैया कौन जहमत उठाये ,आख़िर दिखना तो सभी चाहते हैं |क्यों कुछ गलत कहा मैंने ! आख़िर आप भी तो देखना चाहते हो | फिर मंत्रालय क्या करेगा |आप ख़ुद बता दो क्या हिट है और क्या फ्लाफ |दिखना और दिखना ख़ुद बी ख़ुद बंद हो जाएगा |आख़िर फ्लाफ को थियेटर कब तक ढोएगा ? एक दिन ,दो दिन ,हप्ते भर ,महीने या साल |अंत में आजिज के बंद कर देगा |अरे भाई पैसे का भी तो सवाल है |क्योंकि पूरा मामला पैसे का ही तो है |
अब आप सोचिये कमरे में बंद होना है या बहार आना है | एक बात का ध्यान रखियेगा बाहर का जीवन क्या होता है यह पिजड़े में कैद पक्षी से पूछो | मगर आप कैद आने की नौबत मत आने दो अभी समय है | अरे यार आजाद पक्षी की बात ही कुछ और है |जब पूरे परिवार के साथ बाहर बैठेंगे तब ख़ुद बी ख़ुद जान जायेंगे |अगर ऐसा नहीं हुआ, तब आप उस घड़ी को देखने के लिए अपने को अभी से तैयार कर लीजिये जब आप का बच्चा कमरे में होगा और आप बाहर |यही नहीं बंद कमरे का आलम यह होगा की वह अवशाद के चंगुल में होगा और आप से कहेगा पापा -पापा मैं भी हसीनों का दीवाना बनूंगा |तब आपको अपनी गलती का अहसास होगा आख़िर शुरुआत तो आपने ही की थी बंद कमरे से | सो अभी समय है फ्लाफ को फ्लाफ और हिट को हिट करने में जुट जाइये |आगे आपकी मर्जी|
आइये ट्रेलर देख लीजिये शायद बच्चों के भविष्य के बारे में कुछ शोचें | वरना वे भी ऐसा ही करेंगे और आपकी शाख की वाट लग जायेगी |