क्यों अभी से मन में तरह -तरह के ख्याल आने शुरू हो गये |दिल थाम के बैठिये कहीं ऐसा न हो की अकेले में तो देखना ही है साथ ही कमरा भी बंद करना पड़े | और शायद ये तब तक करना पड़े जब तक ये दुनिया है , महफिल है , हम है ,आप है और हमारे थियेटर महाराज चैनल जी हैं |सुचना मंत्रालय तो कुछ करेगा नही |वह तो इन्हीं को दिखाने या न दिखाने का अधिकार दे रखा है | करे भी तो क्या करे ? उनको भी तो थियेटर में दिखना है |डर है कहीं न दिखाने के चक्कर में हम दिखना बंद न हो जाएँ | तो भैया कौन जहमत उठाये ,आख़िर दिखना तो सभी चाहते हैं |क्यों कुछ गलत कहा मैंने ! आख़िर आप भी तो देखना चाहते हो | फिर मंत्रालय क्या करेगा |आप ख़ुद बता दो क्या हिट है और क्या फ्लाफ |दिखना और न दिखना ख़ुद बी ख़ुद बंद हो जाएगा |आख़िर फ्लाफ को थियेटर कब तक ढोएगा ? एक दिन ,दो दिन ,हप्ते भर ,महीने या साल |अंत में आजिज आ के बंद कर देगा |अरे भाई पैसे का भी तो सवाल है |क्योंकि पूरा मामला पैसे का ही तो है |
अब आप सोचिये कमरे में बंद होना है या बहार आना है | एक बात का ध्यान रखियेगा बाहर का जीवन क्या होता है यह पिजड़े में कैद पक्षी से पूछो | मगर आप कैद आने की नौबत मत आने दो अभी समय है | अरे यार आजाद पक्षी की बात ही कुछ और है |जब पूरे परिवार के साथ बाहर बैठेंगे तब ख़ुद बी ख़ुद जान जायेंगे |अगर ऐसा नहीं हुआ, तब आप उस घड़ी को देखने के लिए अपने को अभी से तैयार कर लीजिये जब आप का बच्चा कमरे में होगा और आप बाहर |यही नहीं बंद कमरे का आलम यह होगा की वह अवशाद के चंगुल में होगा और आप से कहेगा पापा -पापा मैं भी हसीनों का दीवाना बनूंगा |तब आपको अपनी गलती का अहसास होगा आख़िर शुरुआत तो आपने ही की थी बंद कमरे से | सो अभी समय है फ्लाफ को फ्लाफ और हिट को हिट करने में जुट जाइये |आगे आपकी मर्जी|
आइये ट्रेलर देख लीजिये शायद बच्चों के भविष्य के बारे में कुछ शोचें | वरना वे भी ऐसा ही करेंगे और आपकी शाख की वाट लग जायेगी |
बाकी तो छोड़ो...रहे कहाँ इतने दिन??
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