Tuesday, April 14, 2009

जाग उठी देशभक्ति

गुस्ताखी माफ हो हुजूर !हमारा आप से एक ठो रिक्वेस्ट है .देख ही रहे हैं हमरा देश में इतनी राजनीतिक पार्टियाँ होई गवा हैं की सबको समझ ही में नही आता किधर जाएँ ।

मालिक आप ही बताइये न की कवन पार्टिया ठीक हाउ !आप तो सब बुझ ही रहे हैं .अब तो इन पार्टियाँ का भी टीआरपी बढ़ गवा हाउ .लोग लाइन में लगे हैं की हमहूँ हैं .टीआरपी देखकर मालिक भी परेशान .काहे न परेसान होई !कहीं नोटवा क जुगाड़ टी कहीं सिफारिश की रटवा तनी कम कर दा।

आख़िर हमरे देश में केहू न केहू सोचबे करी की हमारे देश का क्या होगा ? क्या टीआरपी ही देश को चलाएगा ,या फिर विकास भी होगा ?एही परिस्थिती में हमरे प्रोफेसर भाई मटुकनाथ जी के भगवान याद दिलायन की प्रोफेसर जी कुछ सोचा .प्रोफेसर जी भी तेज़ तराक आदमी फटाक दे सोच लीहन की युवा लोग ही देश के आगे बढ़ाईदेश का विकास करेंगे .युवा के बारे में सोचने से पहले ही युवा युवा उनके बारे में सोचता था ...अब युवा ,प्रोफेसर आमने सामने .....अब बैठने के लिए स्थान चाहिए ही .फटाक दे पार्टी बनाने की बात आ गयी और नाम आयल प्रेमदल

.शाबाश हमरे प्रोफेसर जी काम के अनुसार नाम .लेकिन एक बात जरूर हाउ की पार्टी के नाम पर अकेले प्रोफेसर जी क विचार ना रहल .इसमे कहीं न कहीं उनकी ...............जूली ने भी साथ निभाया .आख़िर जीना तेरे संग ..............मरना तेरे संग ,तो कैसे रहे पीछे हम .एक बात टी साफ जाहिर हो गया है की अब पार्टी का नाम जब प्रेमदल है तब प्रत्यासी का नाम जरूर प्रेम जी ,प्रेमपुजारी ,प्रेम्लाला ही होगा .आइये न हमरे प्रोफेसर जी के पार्टीया में !! अब हमारा युवा इनको कितना प्रेम करेगा यह तो समय ही बताएगा ? वह देस के विकास की तरफ मुखातिब होगा या प्रेम की तरफ .लेकिन एक बात की दांज देनी होगी जय हो प्रोफेसर भाई ! कम से कम युवं के बारे में सोचला .आगे राम जी क कृपा जो होना होगा होगा ...........!

Thursday, April 9, 2009

कहते हैं हम नेता हैं

खा रहे हैं देश को

बदल रहे हैं भेष को

पैदा कर रहे हैं दुएष को

कहते हैं हम नेता हैं

खिला हे हैं बम को

दे रहे हैं गम को

छीन रहे हैं दम को

कहते हैं हम नेता हैं

पैर फैला रहे हैं सोने की बेड पर

दिखा रहे हैं टीवी सेट पर

आलू भी बिचवा रहे हैं चांदी के

रेट पर कहते हैं हम नेता हैं

देश को बना रहे हैं खाख

बेसहारों की बेच रहे हैं आँख

राजनीति में बना रहे हैं शाख

कहते हैं हम नेता हैं !

Monday, April 6, 2009

आज के नेता

मिटा देंगे बुराइओं को हममे ओ दम है

न गिडगिडा उन नेताओं से वे बडे बेरहम हैं

शहीद होते हैं देश पर जो

देश के जाबांज हैं

नाम न लो नेताओं का

भारत के लिए अभिशाप हैं

हमारे नेता महा डरपोक हैं

प्यासों के लिए पानी चाहिए

ओ तो सहमे हुए ओंस हैं

नेताजी !पूछिये उनसे

जिनके शहीद होते पति ,भाई और लाल हैं

पर आप के लिए क्या उनके खून

रंग और गुलाल हैं

क्यों बनते हो महान

कुछ तो शर्म करो

आतंकवादिओं के खिलाफ अपना जेहन भी गरम करो

धूल हो तुम उन शहीदों का

अपनी औकात जान लो

हो अगर भारत के मर्द

तो गरीबों के दर्द जान लो .

Saturday, April 4, 2009

जरा संभलकर

अरे नेता जी !ये क्या ?कोई खाने को मर रहा है ,रोटी नही मिल रही है और आप कुत्ते को बिस्किट खिला रहे है .अरे भाई साहब मै क्या करू !मेरा तो इनके जैसा और कोई वफादार हो ही नही सकता .अच्छा तो ये आपका पालतू है .हाँ भाई हाँ .कभी आप ने इसे इसकी आम बिरादरी की भीड़ में छोड़ा है ?नही .जरा छोड़कर देखिये ,हर जगह मार खाते है .आप तो हमेशा बांधकर रखते है न !इसीलिए आपको मालूम नही .खैर छोड़िये जरा होशियार रहियेगा .क्यो ?क्योंकिजब पालतू काटता है तब ज़ख्म बड़ा गहरा होता है और भरने का नाम नही लेता ।

जरा इसे याद रखियेगा
आदमी आदमी को सताने लगा
अपने मन का गीत गाने लगा
अब आदमी में आदमियत कहाँ
आदमी -आदमी को खाने लगा ।
तो फिर कुत्ते के भरोसे कब तक रहेंगे .