गुस्ताखी माफ हो हुजूर !हमारा आप से एक ठो रिक्वेस्ट है .देख ही रहे हैं हमरा देश में इतनी राजनीतिक पार्टियाँ होई गवा हैं की सबको समझ ही में नही आता किधर जाएँ ।
मालिक आप ही बताइये न की कवन पार्टिया ठीक हाउ !आप तो सब बुझ ही रहे हैं .अब तो इन पार्टियाँ का भी टीआरपी बढ़ गवा हाउ .लोग लाइन में लगे हैं की हमहूँ हैं .टीआरपी देखकर मालिक भी परेशान .काहे न परेसान होई !कहीं नोटवा क जुगाड़ टी कहीं सिफारिश की रटवा तनी कम कर दा।
आख़िर हमरे देश में केहू न केहू सोचबे करी की हमारे देश का क्या होगा ? क्या टीआरपी ही देश को चलाएगा ,या फिर विकास भी होगा ?एही परिस्थिती में हमरे प्रोफेसर भाई मटुकनाथ जी के भगवान याद दिलायन की प्रोफेसर जी कुछ सोचा .प्रोफेसर जी भी तेज़ तराक आदमी फटाक दे सोच लीहन की युवा लोग ही देश के आगे बढ़ाईदेश का विकास करेंगे .युवा के बारे में सोचने से पहले ही युवा युवा उनके बारे में सोचता था ...अब युवा ,प्रोफेसर आमने सामने .....अब बैठने के लिए स्थान चाहिए ही .फटाक दे पार्टी बनाने की बात आ गयी और नाम आयल प्रेमदल
.शाबाश हमरे प्रोफेसर जी काम के अनुसार नाम .लेकिन एक बात जरूर हाउ की पार्टी के नाम पर अकेले प्रोफेसर जी क विचार ना रहल .इसमे कहीं न कहीं उनकी ...............जूली ने भी साथ निभाया .आख़िर जीना तेरे संग ..............मरना तेरे संग ,तो कैसे रहे पीछे हम .एक बात टी साफ जाहिर हो गया है की अब पार्टी का नाम जब प्रेमदल है तब प्रत्यासी का नाम जरूर प्रेम जी ,प्रेमपुजारी ,प्रेम्लाला ही होगा .आइये न हमरे प्रोफेसर जी के पार्टीया में !! अब हमारा युवा इनको कितना प्रेम करेगा यह तो समय ही बताएगा ? वह देस के विकास की तरफ मुखातिब होगा या प्रेम की तरफ .लेकिन एक बात की दांज देनी होगी जय हो प्रोफेसर भाई ! कम से कम युवं के बारे में सोचला .आगे राम जी क कृपा जो होना होगा होगा ...........!
achchha laga
ReplyDeletedeshbhakat banne ke liye jagne ka samay kya hai ?please bataye!
ReplyDeletedesh ke vikas ke liye dil me desh bhakti hona bahut jaroori hai
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